वास्तु पुरुष क्या है ? कैसे पुरातन कथाएँ हमें बहुत कुछ कहती हैं वास्तु के बारे में ?वास्तुका नाम सुनते ही हमारे मन में ढेर सारे सवाल आ जाते हैं। कुछ लोग कहते है हम इसमें विश्वास नहीं करते, कुछ लोग कहते हैं हम विश्वास करते हैं। पर बात विश्वास की नहीं है , बात है जानने की, की ये जो हमारे सनातन धर्म की कहानियाँ हैं ये हमसे क्या कहती हैं?हमें क्या सिखाती हैं ?क्या सन्देश छुपा है इनमे हमारे लिए ?मेरा मानना है, कि हमें इनको जान ज़रूर लेना चाहिए, फिर जो सही हो हमारे लिए उसे ,अपना कर देख लेना चाहिए।अगर जीवन की कोई उलझन सुलझ जाए तोअपना लो नहीं तो छोड़ दो। पुरातन कथाएँ कहती हैं ,की एक बार जब देवताओं और असुरों का युध हो गया और वो युध काफ़ी समाए तक चलता रहा , युध के दोरान दोनो पक्षों के योधाओं के पसीनो की कुछ बूँदे जब धारती पर गिरीं तो, उस पसीने से एक एसी बड़ी आकृति वाला मानव जैसा दिखने वाला पैदा हो गया।अब देवताओं को लगने लगा की ये कोई असुर है , और असुरों को लगने लगा की ये कोई देव है, तो उसको लेकर दोनो पक्ष ब्रहमा जी के पास गये।भगवान ब्रहमा जी ने उसको मानस पुत्र कहा,और उसको का नाम दिया “वास्तु पुरूष” इस तरिके से वास्तु पुरुष का जनम हुआ। तब वास्तु पुरूष को आदेश दिया गया की धरती पर ओंधे मुँह लेट जाओ ।उनके शरीर के कुछ हिस्सों में देवताओं को वास करने की अनुमती दी और कुछ हिस्सों पर असुरों को वास करने के लिए कहा। ब्रहमा जी ने आदेश दिया की जब भी किसी भवन,…