Jyotish Shastri and Karma – ज्योतिष शास्त्र और कर्मा

ज्योतिष शास्त्र के बारे में अगर हम कहें तो क्या है ज्योतिष= ज्योति+ईश  ईश्वर के द्वारा दिखाई गई रोशनी , नाम से ही समझ में  जाता है,की वो रोशनी जो हमे दिशा दिखाती है, हमारा मार्गदर्शन करती है ये ज्योती ईश।

हमे किस ओर जाना है, क्या करना है अपनी उच्च स्थिति

को पाने के किए, ये हमारे सनातन संस्कृति वैदिक ज्ञान की एक अनमोल कड़ी है।

कर्म तो हर एक जीव को करना ही है, कर्म किस दिशा में हो, जो हमें ऊंचाई पर ले जा सके, जीवन को सुंदर बना सके, यह सिखाता है ज्योतिष।

Pr इसके लिए जरूरी है की इन वैदिक साहित्य का सही से ज्ञान होना। आज के दौर में यह कही धूमिल सा हो गया है।

अज्ञानता और लालच की धूल में उसकी चमक खो सी गई है। इसका ये मतलब बिलकुल नहींहैं की इसमें कोई कमी है।

मै अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे इन वैदिक विद्याओ को जानने का सीखने का अवसर मिला डॉक्टर खुशदीप बंसल जी से , उन्होंने हमे ऐसे सिखाया की आज जब हमारे पास कोई अपनी परशानी लेकर आता है तो  उनकी लगभग हर समस्या का हल इन ज्योतिष उपायों में मिल जाता है, जब उसकी परेशानी दूर होती है तो हमें इन विद्याओं पर और ज्यादा विश्वास हो जाता है।

पर इसका मतलब ये बिल्कुल नही है कर्म किए बिना कुछ मिलता है। कर्म तो करना ही है, उसे किस दिशा में करना है ये रोशनी सही रूप से हमे मिल जाए तो जीवन सहज हो जाता है और सफलता जल्दी जल्दी मिलती है।और ये रोशनी हमे हमारी वैदिक साहित्य से ही मिल सकती है, हजारों वर्षों पुराना ये ज्ञान आज भी उतना ही सच्चा और सटीक है।

श्री मध भागवत गीता मैं तो अर्जुन के पास श्री कृष्ण  थे

तो भी कर्म तो अर्जुन को ही करना था। गीता में लिखा है।

की कर्मो के यज्ञ से पापों का नाश होता है। और पुण्यों का उदय होता।

कोई भी मनुष्य कर्म किए बिना नहीं रह सकता।वो कुछ तो काम करेगा। पर जो वो कर रहा है वो किस भाव से कर रहा है। उसके कर्मो की क्वालिटी क्या है,से निर्णय होता है की उसके जीवन की क्वालिटी क्या होगी।

ज्योतिष के अनुसार मनुष्य ग्रहों की चाल के वश में आकर वो सारे कर्मों को करता है, फिर उनके परिणाम को भोगता है, अच्छे या बुरे जो भी।

लेकिन ज्योतिष का सही ज्ञान मनुष्यों को इन परिस्थियो से कुछ सरल से उपायों से निकाल सकता है। कुंडली में ग्रहों की चाल को अनुकूल करके  ग्रहों की दशाएं मनुष्यों के शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालती हैं और वो उनके विवश हो कर कर्म करता है। तो ज्योतिष के सही ज्ञान से कुछ उपायों से,उनको अनुकूल करके सही काम भी तो करवा सकते हैं। इसी तरह से ज्योतिष शास्त्र काम करता है। ये है हमारी हजारों साल पुरानी वैदिक विद्या।

अंतरिक्ष में जो तारों का समूह है उनकी जो भी आकृति है, उनके आधार पर ही हमारे ऋषियो ने इन्हें, राशियों को आकृतियों के रूप में जाना, अब जब जब भी इन की स्तिथियो में बदलाव होता है, उसके अनुसार हमारे जीवन में भी परिवर्तन आता है। अब वो परिवर्तन अच्छा भी हो सकता है और खराब भी। उसका निर्णय इस बार से होता है की वो ग्रह हमारी कुण्डली मैं कोन से घर मैं बैठ कर, किस भाव से हमारे कोन से कर्म की भूमि पर बैठा है, किस संदर्भ में बैठ कर हमसे क्या कर्म करवाता है।

जैसे की, हम मंदिर में बैठे है तो हमर्रे भाव धार्मिक हो जाते हैं।ये ही जब हम किसी पार्टी में हो तो मनोरंजन के भाव में होते है,बच्चो के साथ ममता के भाव होते हैं, पति के साथ प्रेम के भाव होते हैं, हम तो एक ही हैं पर अलग अलग अलग जगह पर हमारे भाव, हमारा क़िरदार बदल जाता ठीक वैसे ही, यह ग्रह भी होते हैं, जिस जगह बैठे होते हैं, जिस घर में बैठ जाते हैं वैसा ही काम करते हैं।

और उसी के अनुरूप हमारा जीवन चलता है।

अब इसका दूसरा स्तर है की, जैसे हमारे दोस्त होते हैं, रिश्तेदार होते हैं,हमारे आस पास जो भी लोग होते हैं।

कुछ लोग हमारे काम में मदद करते हैं, कुछ लोग रोकते हैं। ठीक वैसे ही ये ग्रह भी हमारे जीवन में भूमिका निभाते हैं।

कहते हैं ना, जैसे इस पिण्ड (शरीर) में है वैसे ही भ्रामण्ड मै है। जब हमारा जन्म हुआ तो जो उस समय में आकाश में ग्रहों की दशा थी,उस समय की जो तस्वीर है, वही हमारी जन्म कुंडली है। उसी के अनुसार हमारे जीवन में सफ़लता या असफलता आती है, हमे अवसर मिलते हैं जीवन में आगे बड़ने के या नहीं मिलते हैं। समाधान भी हमे हमरी कुंडली में जन्म के साथ ही मिलते हैं बस हमे देखना आना चाहिए।वो देखना मुझे मेरे गुरु सखा डॉक्टर खुशदीप बंसल जी ने सिखाया। सीखने के बाद जब मैने खुद पर इसे आजमाया,और सबसे पहले अपने जीवन की समस्याओं को हल किया

तो जो अनुभव हुआ अद्भुत था।

उसके बाद मैने कितने ही लोगो को इस ज्ञान से उनकी तकलीफों से बाहर आने में मदद की, जब वो लोग खुश होते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।फिर धन्यवाद करती हूं उस परमात्मा का जिसने मुझे। ऐसे गुरु से ऐसा ज्ञान प्राप्त करवाया।

हमारा वैदिक ज्ञान इतना अनमोल है की इसमें हर समस्या का समाधान है जो भी किसी जीवन को हो सकती है उन सभी उलझनों के बारे में सोच विचार कर हजारों साल पहले  हमारे  ऋषि मुनियों ने इन जन्म कुंडलियों के साथ उनके समाधान भी दिए थे। समय के साथ वो ज्ञान एसा हो गया जैसे गंगा जी जब गंगोत्री से चली तो पावन, निर्मल,पवित्र गंगा जल थी रहा में चलते चलते लोगों ने अपने अपने तरीके से इस्तमाल करते हुए उन्हें मैला कर दिया, और अब कहते हैं की गंगा जल पीने के काबिल नही है।

ठीक एसा ही हमारे वैदिक ज्ञान के साथ हुआ है।इस ज्ञान में कोई कमी नही है, कमी हममे है जो इसे संभाल नहीं पाए। पर आज भी कुछ लोग है जो इस अनमोल खजाने को घर घर पहुंचना चहेते हैं, और इसके लिए अथक प्रयास भी कर रहे हैं l ये वो हमरी संस्कृति है जिसके लिए हमारा देश पहचाना जाया था।

ये जो सनातन धर्म है वो हमारी पहचान है,जब हम इससे भटक जाते है तो पीड़ा पाते हैं, जिस दिन लौट आएंगे उस दिन से हम सही मायनों में खुश रहेंगे।

मेरी ये ही कोशिश रहेगी कि ये ज्ञान, हमारे वैदिक संस्कार मै घर घर पहुंचा सकूं।

ज्योतिष शास्त्र ईश्वरीय ज्योति का वो शाश्वत ज्ञान है जिसकी रोशनी से हमारे सारे अंधकार दूर हो जाते हैं।

ये वो प्रकाश है को हमारे भीतर के प्रकाश से हमे जोड़ता है, और हमे जीवन की ऊंचाईयों तक ले जाता है। जरूरत है तो बस I इस पर भरोसा करने की, खुद पर विश्वास करने की, अपनी भारतीय संस्कृति वैदिक ज्ञान पर विश्वास करने की। उन लोगों से जुड़ने की जो सच में इन विषयों के जानकार हैं। इन विषयों को लेकर आगे बड़ने की।

श्री मद भागवत गीता पढ़ तो लेते हैं काफी लोग पर, उसको सही तरीके से समझ कर अपने जीवन में जब हम, अपनी सोच में, उस ज्ञान को जो कृष्णा ने अर्जुन को दिया, ले कर आते हैं तो जीवन बहुत सहज हो जाता है।सारे प्रश्नों का हल है श्री मध भागवत गीता,काश हम अपने बच्चों को ये सिखा सकें की ये सिर्फ पूजा करके मंदिर में रखने की किताब नहीं है, और ना ही बूढ़े हो कर पढ़ने वाली किताब है,ये  तो वो ज्ञान है जो जितनी कम उम्र से पडा जाए उतना उपयोगी होगा। हर सोच को सार्थक करने वाला है,जीवन कैसे जिया जाता है वो सिखाता है। जिससे ये बच्चे मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूर युवा बन कर इस भारत देश का नाम रोशन करें।

और सिख सकें की आलस छोड़ कर्म करना है, कर्म ही हमे सभी बंधनों से मुक्ति दिलाता है,इंसान का जन्म कर्म करने के लिए ही हुआ है। इस महायज्ञ में, जिसको संसार कहते है, कर्म यज्ञ से ही चलाया जा सकता है।और हमारा कर्म किस दिशा में हो, जो हमे श्रेष्ठ बना सके ये रोशनी,ये प्रकाश, ये दिशा हमे ज्योतिष शास्त्र दिखाता है।

पर कोई पाखंडी  नहीं, कोई सच्चा ज्ञाता होना चाहिए।

जिसने इन वैदिक ज्योतिष शास्त्र का अध्यन कर, अनुभव करके स्वयं को भी ऊंचाईयों पर ले गया हो।

जो खुद ही कहीं नहीं पहुंचा वो दूसरो को क्या रास्ता दिखाएगा 

 

सितारों की दुनिया है ये ज्योतिष शास्त्र रोशनी से भरपूर   जिसमें पुरी क्षमता है हमारे जीवन के अंधकार को दूर करने की। बस जरूरत है उस सच्चे पारखी की जो  ये पहचान सके की अंधकार का बिंदू कहां हैं,जब ये पता चल जायेगा तो वहीं रोशनी करके उस अंधेरे को दूर किया जा सकता है। बस वैसा कोई ज्ञानी होना चाहिए,पारखी होना चहिए, सब संभव है बस हमारी भावनाएं सच्ची होनी चाहिए I ज्ञान को सच्चे रूप में समझने के लिए।

लेकिन कर्म या ज्योतिष इन दोनो में तुलना करना गलत होगा। क्योंकि कर्म के बिना तो कुछ भी संभव नहीं है,कर्मो को रोशानी प्रदान करता है ज्योतिष्य ज्ञान ,कर्म कैसा हो किस क्षेत्र में हो की हमे जीवन में सफलता मिले ये मार्ग दर्शन तो दे सकता है, पर बिना कर्म किए तो कुछ भी नही हो सकता, कर्म हीन के लिए कोई शास्त्र नही।जब स्वयं श्री कृष्ण अर्जुन के पास रहते हुए भी, कर्म तो अर्जुन को ही करना था, इसका क्या मतलब हुआ यही  की भगवान हमें ये संदेश देना चाहते हैं, की चाहे तेरे रथ पर मैं ही क्यों ना बैठा हूं, और तू चाहे मेरा प्रिय मित्र ही हो, फिर भी धनुष उठा कर युद्ध तो तुझे ही लड़ना होगा, क्योंकि ये तेरा कर्म क्षेत्र है, इससे भाग कर तू कन्ही नही जा सकता। कर्म की गति से ही हम इस लोक और हर लोक के भव सागर से पार हो जाते हैं।तीन लोक हैं अध्यात्म, अधिभूतम, अधिदेवम तीनो लोकों में कर्मों को ही प्रधान माना गया है।

अध्यात्म स्वम का अध्यन

अधिभुता भौतिक वस्तुओं का अध्यन

अधीदेवम देवताओं द्वारा

सब लोग अपने अपने गुणों के हिसाब से कर्म करते हैं, पूरी गीता में श्री कृष्ण ने कर्मों पर ही संदेश दिया है, तो कर्म करना तो जरूरी है पर ज्ञान की रोशनी के साथ उसमें चार चांद लग जाते हैं, कर्मो को चमकाने का ज्ञान हमें ज्योतिष शास्त्र देता है, जिसने इन शास्त्रों के ज्ञान से अपने को चमकाया हो, मार्ग दर्शन उससे ही लेना हैं हमे,हम गलत हो सकते हैं पर हमारा वैदिक ज्ञान नही।ज्ञान के नाम पर जो अज्ञानता बाजार में फैलाई जा रही है उससे बचाना चाहिए। और सही को पहचानो।

 

अगर हम ज्योतिष की बात करे, ज्योतिष शास्त्र उन सितारों की गड़ना है जो आसमान में है, और हजारों वर्षों से हैं, सबकी अपनी एक प्रकृति हैं एक चाल है। एक क्रम है जिस में वो चलते हैं। अब आप सोचेंगे की वो तो आकाश में हैं और हम वहां जमीं पर तो कैसे असर होता है उनका हम पर,हमारे जीवन पर, तो मैं कहूंगी वैसे ही होता है जैसे रोज सूरज लाखों हजारों मील दूर से हमे जीवन देता, ऐसा कुछ भी नहीं जो बिना सूरज की गर्मी के हो सकता हो। ये अनाज से लेकर सब कुछ तक जो कुछ भी कुछ भी माने कुछ भी को भी आप सोच सकते हो, सूरज की रोशनी से ही संभव है।उसके बिना हिम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। और अभी तक उसका कोई विकल भी नही है हमारे पास 

ऐसे ही चंद्रमा जिसकी रोशनी हमे आनंद देती है हमारे मन को अच्छा महसूस होता है जब हम उसे देखते हैं। सुंदरता की कविता चांद की उपमा के बिना अधूरी रह जाती है।

जब ये सूरज और चांद हमारे जीवन पर इतना प्रभाव डाल सकतें हैं तो बाकी ग्रहों का भी तो प्रभाव होता होगा,बस वो हमें यूं ही नहीं दिखते, लेकिन हैं तो वो आकाश में ही,उनका भी हमारे जीवन में बहुत प्रभाव होता है। ज्योतिष शास्त्र उन ग्रहों की चालों की गड़ना का ही अध्यन है, ये हमे बताता है की कोन सा ग्रह,कब किस तरह हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करवा सकता है, और कोन सा कर्म हमें किस वजह से परेशान कर सकता है।और उनसे कैसे बचा जा सकता है।कोन से कर्म को,करने से हमारे जीवन में उन्नति के ख़ज़ाने मिल सकते हैं। ये सब हम जन्म के से लिखा होती है हमरी कुंडली में, बस जरूरत है उसे डिकोड करने की,यह कला हमें वास्तु शास्त्र सिखाता है।

ऐसे पारखी आज भी दुनियां में हैं पर उनको पहचानना आना ज़रूरी है।नही तो ठगने के लिए लोग बैठे है, ज्योतिष शास्त्र के नाम पर दुकान खोल कर, लोगोंको बेवकूफ बना रहे हैं। समस्या का कोई समाधान तो उनके पास होता नही बस गोल गोल घूमते रहते है, अज्ञानता वश उल्टे सीधे फंडे देते रहते हैं, लोगों को मार्ग से भटका देते है,और ज्योतिषी ज्ञान को भी बदनाम करते हैं, ऐसे लोगों की वजह से पूरे शास्त्र पर सवाल उठाया जाता है,पर वो ठीक नहीं है।

इसके लिए हमारे गुरु ने सिखाया की, देखो उसने खुद ने क्या पाया है, जो दूसरों को देगा, अगर उसे सच में कोई ज्ञान है तो पहले अपने जीवन को सुंदर बनाए। नही तो,

उसे ज्ञान नही है, भ्रम है। हमारे पास जो भी आस पास व्यवस्था है हम उन्हें कैसे इस्तेमाल करके बड़ा करते हैं,वो महत्वपूर्ण है,इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता की हम किस स्थिति में पैदा हुए, किन हालातों में हमारा जन्म हुआ महत्वपूर्ण ये है की हमने उन्हें सुधारने के लिए क्या किया। जो चुनौतियां जीवन ने हमें दी उनका सामना कैसे किया। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है,की जब हम किसी भी चुनौती का सामना करते हैं तो हमारे भीतर एक रोशनी का उदय होता है।

हर कर्म हमारे जीवन को दिशा दिखाता है, तय करता है की जो रास्ता हमनें चुना है वो हमें कहां और किस मंजिल पर ले जाएगा।

ज्योतिष शास्त्र कर्म की प्रधानता को ही मानता है, ज्योतिष को हम दिशा सूचक की तरह मान सकते है,जैसे आज के समय में जी पी एस, रास्ता तो वो हमें दिखाएगा परंतु चलना तो हमे ही है। नही तो रास्ता दिखाने का भी क्या फायदा।सबसे अच्छे तरीके से हम ऐसे ही समझ सकते हैं ज्योतिष शास्त्र और कर्मा को।

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